शनिवार, 17 जुलाई 2010

भारत-पाक वार्ता

दोस्ती की कोशिशो में कड़वाहट का एंगल ही पडोसिओं की बेचारगी और मजबूरी की कहानी बयाँ कर रहा है ! एक की मजबूरी २६/११ के हवाले से आतंकवाद को साधने की तो दूसरा कश्मीर राग में इतना निपुण हो चुका है कि उसे दूसरी कोई भाषा और संवाद आता ही नहीं है! बावजूद तमाम तल्खिओं के दोनों के सामने दोस्ती करने की मजबूरिया हैं, समझा जा सकता है दोनों की दुश्मनी किसके सामरिक और व्यापारिक हितो को नुकसान पंहुचा सकती है!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें